औपचारिक कार्यक्रम के अन्तर्गत राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक पाठ्यक्रम में निहित अनिवार्य एवं एच्छिक विषयों को अध्ययन करना आवश्यक है। प्रत्येक दिवस के औपचारिक व अनौपचारिक कार्यक्रम का प्रारम्भ ईश वन्दना, सामुदायिक गीत तथा नैतिक प्रवचनों के द्वारा किया जाता है।
प्रत्येक छात्रा को पाँच अनिवार्य प्रश्न पत्रों एवं दो शिक्षण विषयों का अध्ययन अनिवार्य रूप से करना होगा।
अनिवार्य विषय | |
क्र.सं. | विषय |
1 | शैक्षिक एवं उदीयमान भारतीय समाज ।सामान्य अंग्रेजी |
2 | शिक्षण एवं अधिगम के मनोसामाजिक आधार । |
3 | शैक्षिक प्रबंध एवं विद्यालय संगठन । |
4 | शैक्षिक प्रोद्योगिकी एवं कक्षा प्रबन्ध । |
5 | कम्प्यूटर साक्षरता एवं शैक्षिक अनुप्रयोग |
प्रत्येक छात्रा को ‘अ’ ग्रुप ‘ब’ तथा ग्रुप ‘स’ में से किन्ही दो शिक्षण विषयों का चयन करना होगा- | |
ग्रुप अ | हिन्दी, संस्कृत, नागरिक शास्त्र, रसायन विज्ञान । |
ग्रुप ब | हिन्दी, सामाजिक अध्ययन, सामान्य विज्ञान, अर्थशास्त्र, भूगोल, संस्कृत, गणित । |
ग्रुप स | गृह विज्ञान, जीव विज्ञान, इतिहास अंग्रेजी |
सामाजिक अध्ययन का चयन केवल वे ही छात्रायें कर सकती हैं जिन्होंने स्नातक स्तर पर निम्न विषयों मं से किन्ही दो विषयों का वैकल्पिक विषय के रूप में दो वर्ष तक अध्ययन किया हो-
इतिहास, राजनीति शास्त्र, भूगोल, समाज शास्त्र, मनोविज्ञान, दर्शन शास्त्र एवं लोक प्रशासन।
महाविद्यालय में निम्नलिखित विशेष विषय (specialized subject) के अध्ययन की व्यवस्था है। प्रत्येक छात्रा को इनमें से किसी एक विषय का अध्ययन करना अनिवार्य है।
शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में बी.एड. करने वाले अभ्यर्थियों को राज्य सरकार के निर्णयानुसार सत्र 2007-08 से एक अध्यापन विषय होने पर भी प्रवेश मिल सकेगा।
निम्न में से एक विषय लिया जाना अनिवार्य होगाः- (1) पर्यावरण शिक्षा (2) शारीरिक शिक्षा (3) पुस्तकालय विज्ञान (4) नैतिक शिक्षा (5) शैक्षिक तकनीकी।
प्रत्येक सैद्धांतिक विषय में 75 प्रतिशत तथा प्रायोगिक शिक्षण अभ्यास में शत-प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। निर्धारित उपस्थिति कम होने पर विश्वविद्यालय नियमानुसार परीक्षा में वंचित कर दिया जायेगा। जिसका उत्तरदायित्व छात्रा का स्वयं का होगा। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के नियमानुसार 190 कार्य दिवसों में 75 प्रतिशत उपस्थिति आवश्यक है। बिना विशेष परिस्थिति में लगातार 10 दिन तक अनुपस्थित रहने पर छात्रा का प्रवेश निरस्त कर दिया जायेगा पुनः प्रवेश के लिए महाविद्यालय बाध्य नहीं होगा।
प्रत्येक विषय में सभी छात्राओं को दो आन्तरिक मूल्यांकन परीक्षा (सत्रीय कार्य एवं सत्रीय परीक्षा देना अनिवार्य है।)
अध्यापनाभ्यास के प्रायोगिक पक्ष हेतु आन्तरिक मूल्यांकन के कुल 150 अंक हैं। जिसके अन्तर्गत अध्यापनाभ्यास 20-20 पाठ, समालोचना पाठ एक-एक (दो पाठ) अवलोकन ब्लू प्रिंट एवं प्रश्न-पत्र का निर्माण एवं टेस्ट लेना आदि सम्मिलित होंगे।
शिक्षण अभ्यास हेतु प्रत्येक छात्रा को दो प्रयोगात्मक अभ्यास पुस्तकायें एवं वार्षिक पाठयोजना पुस्तकायें महाविद्यालय से दी जायेंगी।
बी.एड. गणवेश के अन्तर्गत क्रीम कलर के सलवार सूट पर महरूम कलर का प्रिंटेड बॉर्डर होगा, चुन्नी पर भी बॉर्डर होगा। शिक्षण अभ्यास के दिनों में क्रीम कलर की साड़ी पर महरूम कलर का प्रिंटेड बॉर्डर होगा। सर्दियों में महरूम कलर का प्लेन स्वेटर होगा।
अभ्यास शिक्षण के दौरान घोषित अवकाश के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार का अवकाश देय नहीं होगा।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के द्वारा निर्धारित शैक्षिक कार्यक्रम भी सम्पन्न करना आवश्यक है। आन्तरिक मूल्यांकन योजना