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 पुस्तकालय छात्राओं के अध्ययन के लिये अत्यन्त सुखद स्थल है। आप अपना अधिक से अधिक समय अध्ययन मनोरंजनात्मक पत्रिकाओं को पढ़ते हुए तनाव रहित होने के लिए इसमें व्यतीत कीजिये। इस भवन में कुछ संदर्भ पुस्तकें हैं। जिनहें किसी विशेष परिस्थितियों में ही रात्रि भर के लिए इश्यू किया जाता है। ऐसी पुस्तकें अलभ्य एवं संख्या में बहुत कम होती हैं। यदि आपने प्रातः प्रथम पीरियढ़ में इन्हें नहीं लोटाया तो जुर्माना देना होगा।

 प्रत्येक बार पुस्तकें लेते समय अपना लाईब्रेरी टिकट काउन्टर पर देना एवं परिचय पत्र दिखाना अनिवार्य है। सदस्यता पत्र व लाईब्रेरी टिकट हस्तांतरणीय नहीं है। यदि ऐसा किया गया तो भारी जुर्माना देना होगा।

 एक बार में अधिक से अधिक तीन पुस्तकें लाइब्रेरी कार्ड पर ले सकती हैं। पुस्तकों के प्रति आपका दृष्टिकोंण सम्मानीय होना चाहिए। उन्हें बिना क्षति पहुँचाये; बिना पन्ने फाढे, बिना चित्रकारी किये अथवा बिना तस्वीर काटे; उन्हें क्षति पहुँचाने की अवस्था में कृत्य दण्डनीय अपराध होगा। इसके लिये या तो पुस्तक स्थानापन्न करनी होगी अथवा जुर्माने सहित पुस्तक का मूल्य देना होगा। तथा पुस्तकालय से पुस्तकें भी नहीं मिलेंगी।

 शिक्षकायें भी रिक्त कालांश में पुस्तकालय आकर विविध प्रकार की पत्र पत्रिकायें पढ कर ज्ञानार्जन करती है आवश्यकता पडने पर किताबे दी भी जाती है। पुस्तकालय में विभिन्न महापुरषों के चित्र लगे हुये है एवं उनके उत्तम विचार भी पुस्तकालय की दीवारों पर लिखें हुये है । जिससे छात्रायें उनके विचारों अपने जीवन मे अनुसरण कर सके ।

 पुस्तकालय सिर्फ पुस्तकों का घर अर्थात पुस्तकों को संग्रहीत करने का स्थान ही नहीं होता वरन वह किसी भी विद्यालय का ह्दय व आईना होता है जो यह प्रमाणित करता है कि छात्रों का बौद्धिक स्तर क्या है और अध्यापन की उच्चता किस शिखर तक है ।

 इस आधार पर मैं गर्व के साथ कह सकती हॅू कि हमारे विद्यालय का पुस्तकालय इस कसौटी पर खरा उतरता है अन्त में मुझे विश्वास है कि छात्राओं के बौद्धिक विकास व मानसिक विकास में पुस्तकालय का विशेष योगदान रहा है ।